आज मन के माले की सफाई की
वहाँ उस पार बहुत धूल जमी थी
उन पुरानी यादों को बाहर निकाला ...
वो बेवकूफ सी शंकाये
और कही दबा हुआ पुराना डर
आज सब निकालकर फेंक दिया
फिर भी कुछ चुभ रहा था
देखा उसे गौर से
तो पुराने दर्द थे वो जो अभी भी तेज थे और चुभ रहे थे ..
एक तस्वीर भी मिली थी यार की
और साथ एक निशानी भी थी पहले प्यार की ...
वक्त की धूल भी साफ की
जो रिश्तों की यादो पर बसी थी
और प्यार भरी बातें जो वक्त के साथ कही दबी थी ....
एक पुराने खड्डे से कड़वाहट का
पानी भी निकाल दिया
अब बस हलकी सी मरमत रह गयी है
कोई अपना मिले तो फिर ये मन चहक उठेगा....
हिमांशु कडू
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