Friday, 13 January 2017

कलम

तेरी यादों ने आज फिर मुझे मगरूर किया है
मेरी कलम ने आज मुझे फिर इश्क़ लिखने से मजबूर किया है

चार इश्क़ करने वाले चार अलग दिशाओ में खो गए
फिर कभी यही मिलेंगे की दुनिया गोल है

मेरी आँखों पर पड़कर इन सूरज की किरणों ने मुझे फिर तुझसे सपनो में दूर किया है
मेरी कलम ने आज मुझे फिर इश्क़ लिखने से मजबूर किया है

मैं भी पहले यु इश्क़ को किताबो में ढूंढा करता था
की किसी मोड़ पर तुम मिले और नजरिया बदल गया

की फिर मैंने तुम्हे इन हवाओ में महसूस किया है
मेरी कलम ने आज मुझे फिर इश्क़ लिखने से मजबूर किया है

- हिमांशु कडू

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