तेरी यादों ने आज फिर मुझे मगरूर किया है
मेरी कलम ने आज मुझे फिर इश्क़ लिखने से मजबूर किया है
चार इश्क़ करने वाले चार अलग दिशाओ में खो गए
फिर कभी यही मिलेंगे की दुनिया गोल है
मेरी आँखों पर पड़कर इन सूरज की किरणों ने मुझे फिर तुझसे सपनो में दूर किया है
मेरी कलम ने आज मुझे फिर इश्क़ लिखने से मजबूर किया है
मैं भी पहले यु इश्क़ को किताबो में ढूंढा करता था
की किसी मोड़ पर तुम मिले और नजरिया बदल गया
की फिर मैंने तुम्हे इन हवाओ में महसूस किया है
मेरी कलम ने आज मुझे फिर इश्क़ लिखने से मजबूर किया है
- हिमांशु कडू
मेरी कलम ने आज मुझे फिर इश्क़ लिखने से मजबूर किया है
चार इश्क़ करने वाले चार अलग दिशाओ में खो गए
फिर कभी यही मिलेंगे की दुनिया गोल है
मेरी आँखों पर पड़कर इन सूरज की किरणों ने मुझे फिर तुझसे सपनो में दूर किया है
मेरी कलम ने आज मुझे फिर इश्क़ लिखने से मजबूर किया है
मैं भी पहले यु इश्क़ को किताबो में ढूंढा करता था
की किसी मोड़ पर तुम मिले और नजरिया बदल गया
की फिर मैंने तुम्हे इन हवाओ में महसूस किया है
मेरी कलम ने आज मुझे फिर इश्क़ लिखने से मजबूर किया है
- हिमांशु कडू
#BahuT_kHub hiMmi
ReplyDeleteधन्यवाद
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