घर
मे गुलाब का पौधा है;
पौधे
में लगी कली को फुल बनता जब देखती हुं;
तब
लगता है खुश हुं मै.
गांव
में एक छोटीसी नदी बहती है;
नदी
कि मदमस्त लहरो को जब मै बहता देखती हुं;
तब
लगता है, खुश हुं मै.
नजदिकी
मैदान मे रोज बच्चे खेलते है;
उनके
मासूम चेहरे पर जब खिलखीलाहट देखती हुं;
तब
लगता है, खुश हुं मै.
खुद
को रोज आईने मी निहारते;
किसीकी
याद जब पलके झुकाकर प्यारी सी मुस्कान छोड जाती है;
तब
लगता है, खुश हुं मै.
कलम
उठाकर शब्दो कि माला पिरोती हुं;
दीक
को कागज पर हौले से निकालकर रखती हुं;
खुद
से हि जब मिल जाती हुं;
तब
लगता है, खुश हुं मै....
- मृण्मयी (मृणाली येलकर)
#KuthuN yet DVD😝👌👌
ReplyDeleteHehe...!!
ReplyDeleteToo good...!👌👌👌
ReplyDeleteTy saptesh😇
ReplyDeleteNice....!!!
ReplyDeleteDil ko chhu jate he geet jo,
Deletejab gungunata hu me
Tab lagata he, khush hu me
Nice one
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